(Hindustan)
राज्य सरकार ने यूपी में उद्योग लगाने के लिए खेती की जमीन लेने की प्रक्रिया का सरलीकरण करने के साथ कुछ शर्तें भी जोड़ दी है। इसके साथ ही बेटों के साथ अविवाहित बेटियां भी पैतृक संपत्तियों में बराबर की हकदार होंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2019 के मसौदे को मंजूरी दे दी गई है। इसमें कुल 12 संशोधन किए गए हैं। अब इसे विधानमंडल में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन विधेयक मसौदे को रखा गया। इसमें उद्योग लगाने के लिए खेती की जमीन साढ़े 12 एकड़ से अधिक देने के लिए नियमों का सरलीकरण करने की व्यवस्था की गई है, वहीं कुछ शर्तें भी जोड़ी गई हैं। उद्योग लगाने के लिए खेती की जमीन पांच साल के लिए दी जाएगी। इसके बाद उचित कारण बताने पर एक-एक साल के लिए तीन बार इसे बढ़ाया जाएगा। इसके बाद भी उद्योग न लगाने पर इसे सरकार वापस ले लेगी। इसके साथ ही मंडलायुक्त के साथ डीएम और शासन स्तर तक इसके लिए अनुमति लेने की अनिवार्य होगा।
किसान रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के आधार पर एक साल से लेकर 15 साल तक कांट्रैक्ट फार्मिंग के लिए अपनी जमीन दे सकेगा। पहले तीन साल के ऊपर कांट्रैक्ट पर एग्रीमेंट की अनिवार्यता की गई थी, अब एक साल के लिए लेने पर भी यह अनिवार्य होगा। आरक्षित जमीन मसलन खेल का मैदान, चारागाह, खलिहान, सिंचाई नहर, चकरोड या सार्वजनिक उपयोग की जमीन अब दूसरे गांवों में आरक्षित करने पर दूसरे उपयोग में लाने की अनुमति दी जाएगी। अभी उसी गांव में आरक्षित करने की व्यवस्था है। गांवों में जमीन खासकर मेड़ संबंधी विवाद खत्म करने के लिए पैमाइस संबंधी विवाद के समाधान के लिए धारा 24 का सरलीकरण किया जा रहा है।