पीएम मोदी के प्रस्ताव पर चुनाव आयोग का प्लान बी, ‘एक साल, एक चुनाव’ का दिया सुझाव

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(ET)

भारतीय चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक देश एक चुनाव’ के प्रस्ताव पर ‘एक साल एक चुनाव’ का सुझाव पेश दिया है। आयोग ने यह सुझाव विधि आयोग द्वारा 24 अप्रैल को भेजे गए पत्र के जवाब में भेजा है। इस पत्र में आयोग से पूछा गया था कि सभी राज्यों के चुनावों को लोकसभा चुनाव के साथ करवाने पर उनके क्या विचार हैं।

विधि आयोग ने चुनाव आयोग से पांच संवैधानिक मुद्दों पर उनकी स्थिति के बारे में पूछा था। इसके अलावा 15 सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर भी हालात जानने की कोशिश की थी ताकि सरकार एक साथ चुनाव आयोजित करने की तैयारी कर सके। जहां एक बार फिर से एकसाथ चुनाव कराने पर आयोग ने अपना समर्थन दोहराया है वहीं उसने आर्थिक और कानूनी चुनौतियों के बारे में भी बताया है।

आयोग ने सुझाव दिया है कि एक साल के अंदर जिन-जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उन्हें एक साथ करवाया जा सकता है। वर्तमान में आयोग जिन राज्यों के कार्यकाल की अवधि एक महीने में खत्म होने वाली होती है उनके चुनाव साथ में करवाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जन अधिनियम प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 15 के तहत आयोग किसी विधानसभा के खत्म होने से 6 महीने पहले चुनावों की अधिसूचना जारी नहीं कर सकता है।

सूत्रों के अनुसार ‘एक साल एक चुनाव’ करवाना आयोग के लिए काफी आसान है क्योंकि इसमें उसे ज्यादा कानूनी संशोधन करने की जरूरत नहीं है। इसके लिए सरकार को केवल संविधान में 5 संशोधन करने पड़ेंगे। इस मामले पर बात करते हुए पूर्व कानूनी परामर्शदाता एसके मेंदीरत्ता का कहना है कि ‘एक साल एक चुनाव’ को जन अधिनियम प्रतिनिधित्व कानून के अनुच्छेद 15 में संशोधन करके लागू किया जा सकता है।

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