संसद का मानसून सत्र आज से

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(AU)

बुधवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में सरकार के पास काम की भरमार है। हालांकि विपक्ष के आक्रामक रवैये के कारण चुनौतियां भी हैं। अगर बजट सत्र से जारी हंगामा नहीं थमा तो मासूमों से रेप पर फांसी, तीन तलाक और ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा संबंधी बिल अटके रह जाएंगे। इसके अलावा संसद के इस सत्र में मानवाधिकार, सूचना का अधिकार और मानव तस्करी पर गंभीर बहस भी देखने-सुनने को मिलेगी।

दरअसल, सरकार ने मानसून सत्र के लिए 15 बिलों को सूचीबद्ध किया है। इनमें सरकार की प्राथमिकता अगले लोकसभा चुनाव के लिए गेमचेंजर माने जाने वाले तीन तलाक को दंडनीय बनाने, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाने और 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने वाले बिलों का कानूनी जामा पहनाने का है। इसी सत्र में सरकार को कई अध्यादेशों के संदर्भ में भी बिल पेश करना है।

इस सत्र के लिए अब तक सरकार ने जिन बिलों को सूचीबद्ध किया है, उनमें तीन तलाक, मासूमों से रेप पर फांसी के लिए आपराधिक कानून संशोधन बिल, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा बिल, सार्वजनिक परिसर अनधिकृत कब्जा निषेध संशोधन बिल, दंत चिकित्सक संशोधन बिल, जन प्रतिनिधि संशोधन बिल 2017, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट संशोधन बिल, दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता बिल, भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल, मानवाधिकार सुरक्षा संशोधन बिल, सूचना का अधिकार संशोधन बिल, डीएनए प्रौद्योगिकी उपयोग नियामक बिल, बांध सुरक्षा बिल, मानव तस्करी रोकथाम बिल, सुरक्षा एवं पुनर्वास बिल शामिल हैं। इसके अलावा सरकार की योजना नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दूसरा संशोधन बिल, महत्वपूर्ण बंदरगाह प्राधिकार बिल, राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बिल, भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन बिल, जिसे राज्यसभा में पेश करने के बाद प्रवर समिति को भेज दिया था, को चर्चा के लिए सदन में पेश करने की है।

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